बिटिया रानी....
*
घर में आते ही,
उसकी आंखें मां को ढुंढ रहीं थी....
थकी हुई खेल कूद के वो बच्ची,
थी बड़ी मासूम सी....
उसने घर के हर कमरे में छापा मारा,
और हर परदा टटोला....
जब ना पाया किसी को, मायूस होकर वो लौट गई बरांम्मदे मे,
वो आदमी पीछे से आया और पुकारा बड़ी प्यार से....
उसने बोला "बिटिया रानी, दूध पी लो, थक गई होगी तुम खेल के",
"तेरी मम्मी गई हैं मारकेट बड़ी देर से, दोनों भाई चले गए साईकिल पे,
और तेरे पापा भी आऐंगे थोड़ी लेट से"।
वो तो बच्ची थी, उसने मान ली बात बड़ी प्यार से....
आदमी ने बच्ची के सीने पर अपना हाथ सेहलाया,
और वही मौका सहीं पाया....
बोला "बेटी तेरे गाल बहुत नाज़ुक हैं,
और तेरे होंठ बड़े मुलायम हैं"।
बच्ची सहम सी गई,
शायद ये गलत हैं, वो समझ गई....
छूने लगा वो बच्ची को ईधर ऊधर,
वो सन् रही, बोली नहीं कुछ मगर....
बच्ची का हाथ पकड़कर वो ले गया उसे अंधेरे में,
बैठाया उसको अल्मारी के एक कोने में....
बोला उसनें "डरना बिल्कुल नहीं बिटिया रानी,
और ये बात किसी को बताना भी नहीं"।
पिछले दो साल से वो घर में काम कर रहा था,
तभी बच्ची ने आंख बंद कर, उस पर भरोसा कर लिया था...
उसने बच्ची को अपने गोद में बैठा लिया,
और दरवाज़ा धीरे से बंद कर दिया...
अब आगे की कहानी मैं क्या बताऊ,
इस डर को और कितना छुपाऊं....
मैं अकेली क्या करती और कैसे लड़ती,
मैं तो थी केवल ऐक बच्ची सात साल की |
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